
नई दिल्ली। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता आज शुक्रवार 24 मार्च को रद्द कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने आदेश भी जारी कर दिया है जिसमे ये लिखा है कि 23 मार्च 2023 से राहुल गांधी लोकसभा में अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं। इसे लेकर आज पूरे देशभर में कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर कर केंद्र सरकार पर हमला भी बोला है। सीएम भूपेश बघेल, दिग्विजय सिंह समेत सभी कांग्रेसियों ने बयानबाजी दी है।

इस मुद्दे पर एक बात कही जा रही है कि राहुल गांधी इस मामले में बच सकते थे और अपनी लोकसभा सदस्यता बचा सकते थे अगर वे साल 2013 में मनमोहन सरकार के कार्यकाल में लाए गए अध्यादेश को नहीं फाड़ते। दरअसल, बात आज से 10 साल पुरानी है। तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिली थॉमस बनाम भारत संघ के अपने प्रसिद्ध फैसले में इस प्रावधान को रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए। इस समय लालू यादव चारा घोटाला में फंसे थे और दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता पर भी खतरा था। तब के राज्यसभा सांसद राशिद मसूद पहले ही भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जा चुके थे। विपक्ष की तीखी आलोचना के बाद भी सितंबर 2013 में मनमोहन सरकार एक अध्यादेश लेकर आई जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट जाता। लेकिन राहुल गांधी ने इसे अस्वीकार कर दिया।

24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था- ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दी थी। उस दौरान मनमोहन सिंह विदेश यात्रा में थे। इसके बाद ये अध्यादेश वापस ले लिया गया था। अगर उस दौरान मनमोहन सरकार का अध्यादेश पास हो जाता तो आज 10 साल बाद उसका फायदा राहुल गाँधी को होता और उनकी लोकसभा सदस्यता बच जाती। हालांकि उन्हें सदन में वोट डालने की अनुमति नहीं होती लेकिन उनकी सदस्यता रद्द नहीं होती।
23-24 मार्च में क्या-क्या हुआ?
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सूरत सेंशस कोर्ट ने 23 मार्च को 2 साल की सजा सुनाई है। इस मामले में सजा का एलान हो गया था और इसी से अंदाजा लगाया जा रहा था कि उनकी लोकसभा सदस्यता जा सकती है। वहीँ इसके बाद उनकी जमानत पर सुनवाई की गई जिसके बाद उन्हें बेल भी दे दी गई है। उन्हें 30 दिन का वक्त दिया गया है और ऊपरी अदालत में जाकर वे अपील कर सकते हैं। कोर्ट ने उनकी सजा पर 30 दिनों के लिए रोक लगा दी है।
राहुल गांधी के एडवोकेट किरीट पानवाला ने बताया कि चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने पिछले हफ्ते दोनों पक्षों की दलीलों की अंतिम सुनवाई की और निर्णय सुनाने के लिए 23 मार्च की तारीख तय की थी। राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत केस दर्ज है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता आज रद्द कर दी गई है। मानहानि मामले में लोकसभा ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया है जिसका नोटिफिकेशन लोकसभा सचिवालय ने भी जारी कर दिया।
24 मार्च को राहुल गांधी की संसद सदस्यता ख़त्म हो गई। दिनांक 23 मार्च 2023 से लोकसभा में अयोग्य घोषित किये गए हैं। लोकसभा सचिवालय ने ये पत्र जारी किया है जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता ख़त्म हो गई।
मोदी सरनेम को लेकर दिया था विवादित बयान
बता दें, साल 2019 में मोदी सरनेम को लेकर उन्होंने विवादित बयान दिया था। इस मामले में उन पर मानहानि किया गया था जिसके बाद कल मामले की सुनवाई सूरत में हुई। पेशी के दौरान राहुल गांधी ने कहा – मैंने जानबूझकर बयान नहीं दिया है। वहीँ राहुल के वकील ने सजा कम करने की अपील की थी।