
bank me kitna paisa rakhna chahiye क्या हो जब अचानक बंद हो जाएगा आपका बैंक बिजनेस। मंदी का दौर इस वक्त पूरी दुनिया में चल रहा है। छोटे देश छोड़िये, वे बड़े देश भी आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं जो पूरे देश को रोजगार देता है। इस संकट की वजह से बैंकिंग सिस्टम को भी काफी कुछ झेलना पड़ता है। पिछले हफ्ते अमेरिका के दो मुख्य बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) को बैंकिंग संकट का सामना करना पड़ा, जिसके चलते इनके शेयरों की कीमत 60 फीसद तक गिर गई और अंत में दोनों बैंकों को बंद करना पड़ा। ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग चाहेंगे कि वें बैंक से अपना पैसा निकाल सके। हालांकि, ऐसा मुमकिन नहीं है।
bank me kitna paisa rakhna chahiye क्या हो जब अचानक बंद हो जाएगा आपका बैंक अमेरिका में जब कोई बैंक आर्थिक संकट से जूझ रहा हो तब एक अकाउंट होल्डर को 2.50 लाख डॉलर निकालने की अनुमति है। वहीं, अगर भारत के बैंकों की बात करें तो इस स्थिति में एक सेविंग अकाउंट होल्डर सिर्फ पांच लाख तक पैसे को निकाल सकता है और बाकी पैसे बैंक में पड़े रहते हैं।
एक से ज्यादा रखें अकाउंट
बहुत-से लोग बैंकिंग प्रक्रिया से बचने के लिए अपना सारा पैसा एक ही सेविंग अकाउंट में रखते हैं। ऐसे में अगर वह बैंक डूबता है तो आपका सारा पैसा अकाउंट में ही फ्रीज हो जाएगा। इस स्थिति से बचने के लिए अलग-अलग बैंकों के सेविंग अकाउंट में अपना पैसा जमा करें। अगर एक बैंक डूबता भी है तो बाकी बैंक में आपके पैसे सुरक्षित रहेंगे।
बैंक के पास हो उचित सुरक्षा का विकल्प
किसी भी बैंक में अपने मेहनत की कमाई जमा करने से पहले इस बात की जांच कर लें कि आपके बैंक का बीमा किस प्रकार का है। एक सुरक्षित बैंक का एफडीआईसी-बीमाकृत होना बहुत जरूरी है। बैंक विफल रहता है, तो यह एजेंसी आपके धन की क्षतिपूर्ति करेगी।
अगर ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो कोशिश करें कि बैंक में लिमिट से ज्यादा पैसा न रखें। भारत में बैंक के डूबने के बाद पांच लाख तक निकाला जा सकता है। पहले यह लिमिट 50,000 रुपये की थी। ऐसे में अगर हर बैंक में पांच लाख तक ही पैसे जमा रहेंगे तो बंद होने की स्थिति में आपके पूरे पैसे निकल सकते हैं।
बैंक की स्थिति पर रखें नजर
सिर्फ बैंक के बीमाकृत होने से काम खत्म नहीं हो जाता है। अगर बैंक के डूबने पर अपने पैसे को बचाना है तो इसकी स्थति पर समय-समय पर नजर रखें। इसके लिए मूडीज, एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स और फिच रेटिंग्स जैसी रेटिंग एजेंसियों द्वारा बैंक को दिए जाने वाले क्रेडिट रेटिंग पर नजर रखें।