गुरु घासीदास जयंती पर कृषि विश्वविद्यालय पहुंचे रायपुर IG रतनलाल डांगी ने दिया भेदभाव न रखने का सन्देश, छात्रों का भी बढ़ाया मनोबल, छात्रो ने हंसी ठिठोली , आनंद के साथ सांस्कृतिक एवं सत संदेशों के साथ किया कार्यक्रम का समापन

रायपुर। सत्य एवं अहिंसा, धैर्य, लगन, करूणा, कर्म, सरलता और व्यवहार ये हमारे जीवन की सात शिक्षाएं हैं जिसका हमें अनुसरण करना चाहिए। इन शिक्षाओं का पालन करने का ज्ञान गुरू घासीदास जी ने मनुष्य को दिया था। गुरू घासीदास महान व्यवहारिक सन्त समाज सुधारक एवं वैज्ञानिक और तर्कवादी विचारक थे। गुरुजी सतजन्म को आधार मानकर कर्म को महान मानते थे। उनकी जयंती को विशेष रूप से मनाने के लिए रायपुर कृषि विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम रखा गया था।

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इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से मौजूद रहे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और रायपुर आईजी रतनलाल डांगी। भेदभाव रहित रहना जीवन की सर्वेष्ठता है ।माँ बाप के हरेक कर्म की अनुभूति को छात्रकर्म में रखना और लक्ष्य हासिल करना हर नागरिक का कर्तव्य है।आईजी रतनलाल डांगी ने इस दौरान वहां मौजूद छात्रों को सन्त गुरु घासीदास के सन्देश से भी अवगत कराया कि किस तरह उन्होंने मनुष्य को हिंसा से दूर रहने के उपदेश दिए थे। आईजी डांगी ने वहां पर मौजूद छात्रों से कहा कि सफलता आपका जन्मसिद्व अधिकार है। दृढ़ संकल्प के साथ सफलता पाने के लिए समर्पण जरूरी है।

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समर्पण के साथ किसी भी समय हमेशा भेदभाव रहित रहना जीवन की सर्वेष्ठता है। आप सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं लेकिन आपको सफलता के लिए अनुचित चीजो का बलिदान देना पड़ेगा। आपको मेहनत करना पड़ेगा। उन्होने नेल्सन मंडेला, अब्राहम लिंकन, डॉ आंबेडकर और अनेक महापुरुषों को पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने एक आदर्शवादी मेहनत के लिए कहा- करना है करना है करना है ये नियत बना के रखना है , और लक्ष्य हासिल करना है आपको कोई रोक नही सकता अच्छे कार्य करने के लिए जिससे जीवन की उपलब्धि समाजहित में होती है।

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आईजी रतनलाल डांगी ने युवाओं को आगे आने का आह्वान किया और कहा कि सभी जयंती को मनाकर सीख लेना चाहिए। इस दौरान कुलपति गिरीश चंदेल ने महापुरुष के वाणियो को आत्मसात करने की बात कही।साथ ही DSW, डीन और डीआरएस तथा अन्य प्राध्यापक वक्ताओं ने गुरु घासीदास जी के संदेशों को एवं विभिन्न आयामो पर प्रकाश डाला। इस दौरान गुरुजनों को छात्र भविष्य की अच्छी भूमिका में अपने कर्तव्य का निर्माण कार्य करने के लिए भी सकारात्मक ऊर्जा के साथ छात्रों को आगे लाकर उनकी प्रगति में संवाहक बनने के लिए प्रेरित किया।

इस दौरान छात्र गण ने अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। साथ ही अनेक बौद्धिकऔर सृजनात्मक सांस्कृतिक छात्र प्रतिष्ठित कार्यक्रम हुए। ज्ञात हो विश्वविद्यालय का पंथी नृत्य देश भर में लोकप्रिय है और अनेक प्रतियोगिता में पंथी की प्रतिभाओं ने उत्कृष्ट स्थान राष्ट्रीय पदक प्राप्ति हुई है। जिसमे भाषण निबन्ध लेखन चित्रकारी और प्रश्नोत्तरी रंगोली प्रतियोगिता हुई।


हंसी ठिठोली और गरिमामय आदर्श भाव के साथ छात्र सुजीत सुमेर ने कार्यक्रम के अंत मे छात्र सहयोग के साथ धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रोत्साहित पाकर सभी छात्र ने आईजी रतनलाल डांगी को प्रेरणा बताते हुए कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद दिया और सतत मार्गदर्शन ऐसे ही युवाओं को प्रगति देने के लिए सदभाव प्रगट किया।

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