रायपुर। छत्तीसगढ़ में जब कृषि विस्तार अधिकारियों के पद निकाले जाते हैं तो ऐसा लगता है जैसे उन्हें 50 हजार से ज्यादा की सैलरी और भारी भरकम भत्ता मिलेगा। मगर जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारी की आत्मा समझ रही है कि किन अभाव में वह अपना काम कर किसानों के हित के लिए सोचता है। सरकार किसानों के हित के लिए कई ऐसी योजनाएं निकालती है जिससे प्रदेश का किसान अपना अनाज बेचकर अच्छी खासी कमाई कर सके। मगर उन तक शासन की योजनाओं को जानकारी पहुंचाने वाले ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के साथ ही न्याय न हो तो उनकी सुध कौन लेगा।
दरअसल छत्तीसगढ़ के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी कई सालों से अपनी मांगों को लेकर सरकार से उन्हें पूरा करने की उम्मीद लगा रही है। मगर शासन प्रशासन उनकी मांगों को अनसुना कर रही है। एक तरफ से कहा जाए तो उनके साथ सरासर अन्याय किया जा रहा है। जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों को 350 रुपए महीना साइकिल भत्ता दिया जा रहा है। जो एक सरकारी मुलाजिम के काम और पद के लिहाज से बेहद निम्न स्तर का है।
कृषि विस्तार अधिकारियों का यह भी कहना है कि उन्हें शासन की योजनाओं की जानकारी देने के लिए हर किसान तक पहुंचना होता है। मगर सुविधाएं नहीं होने की वजह से शासन की योजनाओं की जानकारी वह किसानों तक पहुंच ही नहीं पाती है जिससे किसान इसका लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। साथ ही उनकी शासन कार्य योजना बनाते समय बिना फीड बैक के लागू कर अंततः योजना को कारगर न साबित होना कहकर बंद कर दिया जाता है।
वहीं जमीन पर रहने वाले अधिकारियों से मुख्यालय में रहने की हिदायत दी जाती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर कोई अधिकारी अपने मुख्यालय में कार्यरत रहेगा तभी तो आंकड़े इकठ्ठा कर सकेगा। यदि बिना अधिकारी के आंकड़ा एकत्रित किए उसे लोगों तक पहुंचाया जाता है तो ऐसे में साफ़ जाहिर है कि आंकड़ों में फर्जीवाड़ा करने का खेल चलाया जा रहा है। लेकिन डंडा चलता है, सिर्फ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पर और आंकड़ो के बाजीगर मलाई खाते है।
बीते साल सितंबर महीने में कृषि विस्तार अधिकारियों ने शासन के सामने अपनी मांग भी रखी थी। जिसमें उन्होंने यात्रा भत्ता बढ़ाने कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग संचालक को कई बार पत्र लिखा है। साथ ही कृषि स्नातक योग्यताधारी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को व्यवसायिक योग्यता के अनुरूप वेतनमान रूपये 9300-34800 ग्रेड पे 4300 लेवल 09 पुनरीक्षित किये जाने के संबंध में भी शासन के नाम पत्र लिख चुके हैं। मगर महीनों बीत गए। सरकार बदल गई मगर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों का हाल नहीं बदला। ऐसे में क्या शासन और प्रशासन उनके इस दुःख को समझता है या फिर इससे एक बार फिर पल्ला झाड़ लेगा।