भारत का ऐसा अनोखा मंदिर जिसे बनाने में लग गए थे 150 साल, 5 पीढ़ियों के मजदूरों ने कराया था निर्माण … चट्टानों को काटकर …

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 Kailash-Mandir-in-Ellora हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं का काफी महत्व होता है। सबसे भोले भगवान अगर किसी को माना जाता है तो वो हैं भगवान शिव। भगवन शिव से ही जुडी एक रोचक खबर हम आपको बताने जा रहे हैं। भगवान शिव का अनोखा मंदिर है, जो एलोरा जिला के औरंगाबाद स्थित लयण-श्रृंखला में कैलाश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। जितना सुंदर ये मंदिर देखने में है, उतना ही खूबसूरत इतिहास भी इसके अंदर समाया है। 

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इस अनोखे कैलाश मंदिर को तैयार होने में 10-20 साल नहीं बल्कि 150 साल लगे थे और करीब  7000 मजदूरों ने लगातार इस पर काम किया था। इसके निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटकर 90 फीट ऊंचा मंदिर बनाया गया था। इस मंदिर में प्रवेश द्वार पर एक दो मंजिला गोपुरम स्थित है और प्रवेश द्वारों के किनारों पर शैव और वैष्णवों द्वारा पूजे जाने वाले देवताओं की मूर्तियां हैं। कैलाश मंदिर विरुपाक्ष मंदिर से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान बनाया गया था।

एलोरा में कैलाश मंदिर राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा भगवान शिव के मंदिर के रूप में बनाया गया था। कैलाश मंदिर एक बहुमंजिला मंदिर परिसर है जिसे भगवान शिव के घर कैलाश पर्वत की तरह बनाने की कोशिश की गई थी। मुगल शासक औरंगजेब ने कैलाश मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन उसे अपने मंसूबों में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई थी। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। 

इस मंदिर को कैलाश पर्वत की तरह रूप देने की पूरी कोशिश की गई थी लेकिन मान्यताओं के अनुसार आज तक इस मंदिर में कभी भी पूजा किए जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला। इस मंदिर में आज भी कोई पुजारी नहीं है और कोई नियमित पूजा-पाठ का सिलसिला भी नहीं है।


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